देश की आत्मनिर्भरता यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल करते हुए, दो युद्धपोत – विध्वंसक सूरत और फ्रिगेट निलगिरी – 20 दिसंबर 2024 को भारतीय नौसेना को सौंपे गए। इन युद्धपोतों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (डब्ल्यू.डी.बी.) और मझगांव डॉक लिमिटेड (एम.डी.एल.) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है। यह भारत सरकार और भारतीय नौसेना द्वारा आत्मनिर्भरता के माध्यम से राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में किए गए प्रयासों का परिणाम है। दो अत्याधुनिक युद्धपोतों की एक साथ सेवा में शामिल होने से भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता और युद्ध तत्परता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यार्ड 12707 (सूरत), प्रोजेक्ट 15बी के तहत चौथा और अंतिम स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक है, जो अपने पूर्ववर्ती भा.नौ.पो. विशाखापट्टनम, मोरमुगाओ और इंफाल के बाद शामिल हुआ है, जिन्हें पिछले तीन वर्षों में सेवा में शामिल किया गया था। सूरत की डिलीवरी भारतीय नौसेना की प्रतिष्ठित स्वदेशी विध्वंसक निर्माण परियोजना का समापन करती है, जिसकी शुरुआत प्रोजेक्ट 15 (तीन दिल्ली श्रेणी के पोत, 1997-2001) से हुई, और जिसे प्रोजेक्ट 15ए (तीन कोलकाता श्रेणी, 2014-2016) और प्रोजेक्ट 15बी (चार विशाखापट्टनम श्रेणी, 2021-2024) के तहत आगे बढ़ाया गया। सूरत, 7,400 टन विस्थापन और 164 मीटर की कुल लंबाई वाला एक गाइडेड मिसाइल विध्वंसक है। यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, जहाज रोधी मिसाइलों और टॉरपीडो जैसे अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से सुसज्जित है। यह स्वदेशी रूप से विकसित ए.आई. (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) समाधानों का उपयोग करने वाला भारतीय नौसेना का पहला ए.आई.-सक्षम युद्धपोत बनने की दिशा में अग्रसर है, जो इसकी परिचालन दक्षता को कई गुना बढ़ा देगा। यार्ड 12651 (निलगिरी), प्रोजेक्ट 17ए के तहत पहला स्टील्थ फ्रिगेट है। यह सेवा में सक्रिय शिवालिक श्रेणी (प्रोजेक्ट 17) के फ्रिगेट्स का उन्नत संस्करण है। निलगिरी, प्रोजेक्ट 17ए के तहत निर्माणाधीन सात फ्रिगेट्स में पहला है, जिन्हें मुंबई के एम.डी.एल. और कोलकाता के जी.आर.एस.ई. में तैयार किया जा रहा है। ये मल्टी-मिशन फ्रिगेट्स ‘ब्लू वॉटर’ वातावरण में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने में सक्षम हैं। इन युद्धपोतों में उन्नत हथियार और सेंसर लगे हैं। उनकी डिलीवरी जहाज डिजाइन और निर्माण में भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भरता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इन युद्धपोतों में स्वदेशी मूल उपकरण निर्माताओं (ओ.ई.एम.) जैसे मेसर्स बी.ए.पी.एल., एल. एंड टी., एम.टी.पी.एफ., बी.ई.एल., बी.एच.ई.एल., महिंद्रा आदि द्वारा निर्मित उपकरणों का उपयोग किया गया है।