एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी.) परियोजना के सातवें पोत (बी.वाई. 529, मछलीपट्टनम) की आधारशिला 29 जनवरी 2025 को दक्षिणी नौसेना कमान के प्रमुख स्टाफ अधिकारी, रियर एडमिरल उपल कुंडू की उपस्थिति में रखी गई। इस अवसर पर भारतीय नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सी.एस.एल.) के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। इन पोतों में लगभग सभी प्रमुख और सहायक उपकरण/प्रणालियाँ स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त की गई हैं, जो भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। यह उपलब्धि, दिसंबर 2024 में छठे पोत की आधारशिला रखने और सितंबर 2024 में चौथे एवं पाँचवें पोतों के जलावतरण के बाद आई है, जो भारतीय शिपयार्डों द्वारा भारतीय नौसेना की बढ़ती परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किए जा रहे सतत प्रयासों को दर्शाती है। रक्षा मंत्रालय द्वारा 30 अप्रैल 2019 को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड को आठ ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी. पोतों के निर्माण का अनुबंध प्रदान किया गया था। ये पोत, जिन्हें ‘माहे श्रेणी’ के रूप में जाना जाता है, स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक पानी के नीचे सेंसरों से सुसज्जित होंगे और तटीय जल क्षेत्रों में पनडुब्बी रोधी अभियानों, कम तीव्रता समुद्री संचालन (एल.आई.एम.ओ.) और माइन्स बिछाने के अभियानों के लिए तैयार किए गए हैं। इस परियोजना का पहला पोत 2025 की शुरुआत में भारतीय नौसेना को सौंपे जाने की योजना है। इन ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी. पोतों में उच्च स्तर की स्वदेशी सामग्री का समावेश भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमताओं को सशक्त करेगा, साथ ही भारतीय निर्माण इकाइयों के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार और क्षमता वृद्धि को भी बढ़ावा देगा।