भारतीय नौसेना ने आज, पहली बार एक निजी भारतीय उद्योग द्वारा निर्मित अंडरवाटर रॉकेट आर.जी.बी. 60 के लिए पूरी तरह से स्वदेशी फ्यूज वाई.डी.बी.-60 प्राप्त किया।
आयुध और गोला-बारूद में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय नौसेना ने पहली बार एक निजी निर्माता मैसर्स इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (ई.ई.एल.), नागपुर के माध्यम से प्रमुख युद्धपोतों में उपयोग होने वाले अंडरवाटर एंटी सबमरीन वारफेयर (ए.एस.डब्ल्यू.) रॉकेट आर.जी.बी. -60 के लिए पूरी तरह से स्वदेशी फ्यूज वाई.डी.बी. -60 प्राप्त किया। यह पहली बार होगा जब भारतीय नौसेना ने एक भारतीय निजी उद्योग पर पानी के नीचे गोला-बारूद फ्यूज के लिए आपूर्ति आदेश दिया है।
मेसर्स ई.ई.एल., नागपुर के सी.एम.डी. श्री. सत्यनारायण नुवाल ने नौसेना स्टाफ (वी.सी.एन.एस.) के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एस. एन. घोरमडे को इस फ्यूज की पहली खेप सौंपी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री. घोरमडे ने कहा कि "आयुध और गोला-बारूद के निर्माण में निजी उद्योगों की बढ़ती भागीदारी सराहनीय है और यह सशस्त्र बलों के आत्मनिर्भरता में एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है। सिमुलेटेड गतिशील परीक्षण सुविधाओं का उपयोग करके पहली बार निजी उद्योग द्वारा इस तरह के फ्यूज का विकास और निर्माण, देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
नौसेना आयुध महानिदेशालय (डी.जी.ओ.एन.ए.) और नौसेना आयुध निरीक्षण महानिदेशालय (डी.जी.एन.ए.आई.), भारतीय नौसेना द्वारा भारत में 'आत्मनिर्भरता' की खोज में गोला-बारूद और फ्यूज के निर्माण के लिए एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में निर्माता को सभी प्रकार की तकनीकी सहायता प्रदान की गई है।