पनडुब्बी रोधी वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी. सी.एस.एल. परियोजना के चौथे जहाज (बी.वाई. 526, माल्पे) और पांचवें जहाज (बी.वाई. 527, मुल्की) की कील लेइंग की अध्यक्षता रियर एडमिरल जसविंदर सिंह, सी.ओ.एस., दक्षिणी नौसेना कमान और रियर एडमिरल सुबीर मुखर्जी, एडमिरल सुपरिटेंडेंट, एन.एस.आर.वाई. कोच्चि ने 8 दिसंबर 2023 को, श्री मधु एस. नायर, सी.एम.डी., कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और भारतीय नौसेना तथा शिपयार्ड के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सी.एस.एल., कोच्चि में की। स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त सभी प्रमुख और सहायक उपकरण / प्रणालियों के साथ, ये जहाज "आत्मनिर्भर भारत" पहल के गौरवशाली ध्वजवाहक हैं। 30 नवंबर 2023 को सी.एस.एल. में पहले तीन ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी. जहाजों के शुभारंभ के तुरंत बाद यह आयोजन भारतीय शिपयार्डों की मेक इन इंडिया क्षमता को प्रदर्शित करता है। 30 अप्रैल, 2019 को रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच आठ ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी. जहाजों के निर्माण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। माहे श्रेणी के जहाजों को स्वदेशी रूप से विकसित, अत्याधुनिक अंडरवाटर सेंसर से सुसज्जित किया जाएगा, और इनके द्वारा तटीय जल में पनडुब्बी रोधी ऑपरेशन करने के साथ-साथ कम तीव्रता वाले समुद्री ऑपरेशन एल.आई.एम.ओ. और माइन लेइंग ऑपरेशंस करने की परिकल्पना की गई है। इस परियोजना का पहला पोत 2024 में सुपुर्द करने की योजना है। इन ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी. जहाजों पर लगी उच्च स्वदेशी सामग्री भारतीय विनिर्माण इकाइयों द्वारा बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन सुनिश्चित करेगी, जिससे देश के भीतर रोजगार और क्षमता में वृद्धि होगी।