एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी.) परियोजना के छठे पोत (बी.वाई. 528, मागडाला) की आधारशिला स्थापना 17 दिसंबर 2024 को दक्षिणी नौसेना कमान के मुख्य स्टाफ अधिकारी (प्रशिक्षण), रियर एडमिरल सतीश शेनॉय की उपस्थिति में संपन्न हुई। इस समारोह में भारतीय नौसेना और कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड (सी.एस.एल.) के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। लगभग सभी प्रमुख और सहायक उपकरण/प्रणालियां स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त की गई हैं, जो “आत्मनिर्भर भारत” पहल को मजबूती प्रदान करती हैं। यह मील का पत्थर, सितंबर 2024 में सी.एस.एल. में चौथे और पांचवें ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी. पोतों के प्रक्षेपण के कुछ ही महीनों के भीतर हासिल किया गया, जो भारतीय शिपयार्ड की ‘मेक इन इंडिया’ क्षमता का सशक्त प्रदर्शन करता है।
आठ ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी. पोतों के निर्माण के लिए अनुबंध रक्षा मंत्रालय द्वारा 30 अप्रैल 2019 को कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड को प्रदान किया गया था। इन पोतों को ‘माहे’ वर्ग के नाम से जाना जाता है और इन्हें स्वदेशी रूप से विकसित, अत्याधुनिक पानी के नीचे के सेंसरों से सुसज्जित किया जाएगा। इन पोतों को तटीय जल में एंटी-सबमरीन ऑपरेशन्स के साथ-साथ कम तीव्रता वाले समुद्री ऑपरेशन्स (एल.आई.एम.ओ.) और माइन लेइंग ऑपरेशन्स को अंजाम देने के लिए डिजाइन किया गया है।
इस परियोजना के पहले पोत की डिलीवरी 2025 की शुरुआत में किए जाने की योजना है। इन ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी. पोतों पर उच्च स्वदेशी सामग्री न केवल भारतीय नौसेना की एंटी-सबमरीन वारफेयर क्षमताओं को सुदृढ़ करेगी, बल्कि भारतीय विनिर्माण इकाइयों में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन और क्षमताओं के उन्नयन में भी सहायक सिद्ध होगी।