Skip to main content

वाई.-3024 (विंध्यागिरि) की लॉन्चिंग

जी.आर.एस.ई. में निर्मित परियोजना 17ए. के छठे स्टील्थ फ्रिगेट विंध्यागिरि को आज शिपयार्ड में भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा लांच किया गया। जैसे ही विंध्यागिरि हुगली नदी के पानी में उतरी, पूरी सभा में उत्साह की लहरें दौड़ पड़ी। गणमान्य व्यक्ति, नौसेना कर्मी, जहाज निर्माता और दर्शकों ने जहाज और उसके निर्माण के पीछे की टीम की प्रशंसा दिल से तालियाँ बजा कर की। श्री. सी.वी. आनंद बोस, पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल, सुश्री ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री,   श्री. अजय भट्ट रक्षा राज्य मंत्री, एडमिरल आर.. हरि कुमार, नौसेना प्रमुख, भारतीय नौसेना और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उद्घाटन समारोह में शामिल होने वाले कई गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे।

लॉन्चिंग के बाद,  अपनी सुपुर्दगी और कमीशनिंग से पहले बची हुई गतिविधियों और उपकरण परीक्षणों को करने के लिए 'विंध्यागिरि' जी.आर.एस.ई. की आउटफिटिंग जे.ट्टी. में अपने दो सहयोगी जहाजों के साथ शामिल होगा।

परियोजना 17ए. फ्रिगेट परियोजना 17 (शिवालिक श्रेणी) फ्रिगेट्स के बाद की श्रेणी है, जिसमें बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार और सेंसर और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम हैं। एम.डी.एल. और जी.आर.एस.ई. में सात परियोजना 17 ए. फ्रिगेट निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट्स का डिज़ाइन भारतीय नौसेना के लिए तकनीकी रूप से उन्नत युद्धपोतों को डिजाइन करने में युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो के कौशल को भी प्रदर्शित करता है। लॉन्च के साथ, राष्ट्र की स्वदेशी विशेषज्ञता और इंजीनियरिंग क्षमताओं को बहुत बढ़ावा मिला है, विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर भारत की निर्भरता में कमी हुई है, आत्मनिर्भरता में वृद्धि हुई है और मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार को बढ़ावा मिला है। परियोजना 17ए. के 75 प्रतिशत से अधिक ऑर्डर सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टिकोण के अनुरूप एम.एस.एम.ई. सहित स्वदेशी फर्मों को दिए गए हैं। देश में आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, एम.एस.एम.ई. और सहायक उद्योगों की वृद्धि, जहाज निर्माण परियोजना के सकारात्मक बदलाव हैं।

इस कार्यक्रम के दौरान, भारत की माननीय राष्ट्रपति ने युद्धपोत निर्माण में आत्मनिर्भरता की राष्ट्र की आकांक्षा को पूरा करने के लिए युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो और अन्य नौसेना टीमों की उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए अपनी गहन संतुष्टि और हार्दिक सराहना व्यक्त की। उन्होंने अटूट प्रतिबद्धता और युद्धपोत उत्पादन के लिए दृढ़ सहायता के लिए जी.आर.एस.ई. की भी सराहना की। शिपयार्ड के इस प्रयास ने भारतीय नौसेना को अपनी जहाज प्रेरण योजना को सफलतापूर्वक पूर्ण करने और हिंद महासागर क्षेत्र में एक अजेय बल के रूप में उभरने में सक्षम बनाया है। नव नामित 'विंध्यागिरि' के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने आशा व्यक्त की कि जैसे ही विंध्यागिरि ने प्रथम बार शक्तिशाली हुगली के पानी को छुआ, इसने उन्हीं पहाड़ों से शक्ति प्राप्त की जिन पर इसका नाम रखा गया है, यह अटूट दृढ़ संकल्प के साथ सेलिंग करेगा और हमारे मूल्यों को कायम रखेगा। कामना है कि यह युद्धपोत राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति हमारे संकल्प और प्रतिबद्धता के एक शक्तिशाली प्रमाण और एक समृद्ध और सुरक्षित भविष्य के हमारे दृष्टिकोण के रूप में कार्य करे।