एम.डी.एल. में निर्मित परियोजना 17 ए. का सातवां स्टील्थ फ्रिगेट महेंद्रगिरि आज शिपयार्ड में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री. जगदीप धनखड़ की पत्नी डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़ द्वारा लांच किया गया। जैसे ही महेंद्रगिरि अरब सागर के जल में अवतरित हुआ, सभा में उत्साह की एक लहर फैल गई। जहाज और उनके निर्माण के पीछे की टीम की प्रशंसा करते हुए, गणमान्य लोग, नौसेना के कर्मी, शिपबिल्डर्स और दर्शक तालियों को बजाते हुए एक हो गए। भारत के माननीय उपराष्ट्रपति इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। मुंबई के राज्यपाल, महाराष्ट्र के सी.एम., सी.एन.एस., राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री, एम.ओ.डी. और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति और वरिष्ठ अधिकारी लॉन्च समारोह में शामिल होने वाले कई गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे। एम.डी.एल. ने हमारे देश की समुद्री क्षमताओं में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एम.डी.एल. ने युद्धपोतों के निर्माण और गश्ती नौकाओं से लेकर स्टील्थ फ्रिगेट्स तक के जहाजों की सुपुर्दगी में लगातार विशेषज्ञता और तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया है। एम.डी.एल. के योगदान ने न केवल देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाया है, बल्कि स्वदेशी निर्माण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लॉन्च के बाद, ‘महेंद्रगिरि’ एम.डी.एल. के वेट बेसिन में अपने तीन सहयोगी जहाजों में शामिल हो जाएगा, ताकि उनकी सुपुर्दगी और कमीशन के लिए शेष आउटफिटिंग गतिविधियों और उपकरण परीक्षणों में प्रगति हो सके। परियोजना 17ए. फ्रिगेट परियोजना 17 (शिवालिक श्रेणी) फ्रिगेट्स के बाद की श्रेणी है, जिसमें बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार और सेंसर और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम हैं। एम.डी.एल. और जी.आर.एस.ई. में सात परियोजना 17 ए. फ्रिगेट निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। एडवांस्ड स्टील्थ फ्रिगेट्स का डिज़ाइन भारतीय नौसेना के लिए तकनीकी रूप से उन्नत युद्धपोतों को डिजाइन करने में डब्लू.डी.बी. के कौशल को भी प्रदर्शित करता है। लॉन्च से, राष्ट्र की स्वदेशी विशेषज्ञता और इंजीनियरिंग क्षमताओं को एक प्रमुख बढ़ावा मिलता है, विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर भारत की निर्भरता कम होती है, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलता है और एक मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार में वृद्धि होती है। परियोजना 17ए. के 75 प्रतिशत से अधिक के ऑर्डर सरकार के दृष्टिकोण ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अनुरूप एम.एस.एम.ई. सहित स्वदेशी कंपनियों को दिए गए हैं। इस कार्यक्रम के दौरान, भारत के माननीय उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि महेंद्रगिरि की लॉन्चिंग भारत के समुद्री इतिहास में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और युद्धपोत निर्माण में आत्मनिर्भरता की देश की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए डब्लू.डी.बी. और अन्य नौसेना टीमों की उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए अपनी गहन संतुष्टि और हार्दिक सराहना से अवगत कराया। उन्होंने युद्धपोत उत्पादन और देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता और दृढ़ समर्थन के लिए एम.डी.एल. की भी सराहना की। इस शिपयार्ड प्रयास ने भारतीय नौसेना को अपनी जहाज अधिष्ठापन योजना को सफलतापूर्वक निष्पादित करने और हिंद महासागर क्षेत्र में एक दुर्जेय बल के रूप में उभरने में सक्षम बनाया है। इस युद्धपोत की लॉन्चिंग से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि भारत अपनी समुद्री शक्ति में निवेश करना जारी रखेगा। कामना है कि यह आई.ओ.आर. के प्रति हमारे संकल्प और प्रतिबद्धता का एक शक्तिशाली प्रमाण और एक समृद्ध और सुरक्षित भविष्य के हमारे दृष्टिकोण के रूप में कार्य करे।