Skip to main content

प्राचीन स्टिच्ड जहाज का कील लेइंग समारोह

प्राचीन स्टिच्ड जहाज के पुनर्निर्माण के लिए कील संस्‍कृति और विदेश राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी द्वारा 12 सितंबर 2023 को गोवा के मैसर्स होदी इनोवेशंस में एडमिरल आर. हरि कुमार, सी.एन.एस. और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य श्री. संजीव सान्याल तथा संस्कृति मंत्रालय और भारतीय नौसेना के गणमान्य लोगों की उपस्थिति में रखी। प्राचीन स्टिच्ड जहाज का पुनर्निर्माण एक बहु-मंत्रालयीय परियोजना है जिसके डिजाइन और निर्माण की देखरेख भारतीय नौसेना द्वारा की जा रही है और इसे संस्कृति मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया गया है। 22 महीनों में पोत के निर्माण और वितरण के लिए त्रिपक्षीय अनुबंध 18 जुलाई 2023 को भारतीय नौसेना, संस्कृति मंत्रालय और मैसर्स होदी इनोवेशन, गोवा के बीच संपन्न हुआ था।

इसका उद्देश्य एक 'स्टिच्ड जहाज', एक प्रकार की लकड़ी की नाव जो तारों / रस्सियों से सिले हुए तख्तों के साथ बनाई जाती है, का डिजाइन और निर्माण करना है जो प्राचीन भारत में धातु फास्टनरों के आगमन से पहले समुद्र में जाने वाले जहाजों के निर्माण के लिए लोकप्रिय तकनीक  थी। इस परियोजना में जहाज निर्माण के इस पारंपरिक शिल्प को पुनर्जीवित और संरक्षित करने और दुनिया को भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने की परिकल्पना की गई है।

जहाज के पूरा होने पर, भारतीय नौसेना द्वारा प्राचीन नेविगेशन तकनीकों का उपयोग करते हुए पारंपरिक मार्गों में से एक दक्षिण पूर्व एशिया / फारस की खाड़ी की यात्रा 2025 में निर्धारित की गई है।

भाषणों का उद्धरण

भारत की प्राचीन समुद्री विरासत को पुनर्जीवित करने वाली में से एक के रूप में इस कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए, संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि वह "स्टिच्ड जहाज के महत्वपूर्ण कील लेइंग समारोह का हिस्सा बनकर बेहद खुश हैं, जो लकड़ी के तख्तों के माध्यम से जहाजों को एक साथ स्टिच्ड करने की 2000 साल पुरानी भारतीय तकनीक को पुनर्जीवित करेगा।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में यह अनूठी पहल भारत की समृद्ध जहाज निर्माण विरासत का महिमामंडन करेगी और उन जहाजों की याद दिलाएगी जो कभी भारत को दुनिया से जोड़ने वाले हमारे प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों पर महासागरों में चला करते थे। संस्कृति मंत्रालय, भारतीय नौसेना, बंदरगाहों, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास की परिणिति भारतीय नौसेना के साथ प्राचीन नौवहन तकनीकों का उपयोग करते हुए पारंपरिक समुद्री व्यापार मार्गों के साथ स्टिच्ड जहाज पर एक अद्वितीय यात्रा के साथ होगा। पुनः खोज और पुनरुद्धार की यह उल्लेखनीय परियोजना भारत की सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत को याद करेगी, जिसमें समुद्री जहाज और जहाज निर्माण एक महत्वपूर्ण पहलू था"।

भारत की समृद्ध समुद्री विरासत के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य श्री. संजीव सान्याल ने भी कहा ‘यह महत्वपूर्ण अवसर सभी भारतीयों के लिए हमारे राष्ट्र के गौरवशाली समुद्री अतीत को पुनः अनुभव करने और उसे मनाने का एक अवसर है।’

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा, "हमारी जड़ों में गर्व, हमारे मूल्यों और लोकाचार में विश्वास और हमारे अतीत के बारे में समग्र जागरूकता अब हमारे देश के उदय के पीछे की ताकत बन गई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उत्प्रेरण तेजी से एक 'पूरे समाज' प्रयास है, या भीतर से आ रही आवाजों का। यह तथ्य कि हमारे पास सरकार, सशस्त्र बल, शिक्षा जगत, उद्योग, कारीगर - आज सभी यहां जुटे हैं, भारत को उसके उचित स्थान पर ले जाने के हमारे साझा सपने का प्रमाण है।''

अपने नागरिकों को भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास के बारे में जागरूक करने के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि "नौसेना के लिए, यह जहाज हमारे राष्ट्र को समुद्री अंधेपन से मुक्त करने, समुद्री चेतना सुलगाने का एक कदम है, जिसमें सरकार के नक्शेकदम पर चलते हुए, हमारे नागरिक दुनिया तक पहुंचने के लिए समुद्र में जाते हैं - चाहे वह व्यापार, संस्कृति, जुड़ाव और सह-समृद्धि हो ... यही भारतीय नाविक हैं, जो कि स्टिच्ड जहाजों पर सवार होकर, सदियों से कर रहे हैं"।