भारतीय नौसेना (आई.एन.) और भारतीय विज्ञान संस्थान (आई.आई.एस.सी.), बेंगलुरु के बीच तकनीकी सहयोग और संयुक्त अनुसंधान और विकास के लिए नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य अभियांत्रिकी के विभिन्न क्षेत्रों में शैक्षिक सहयोग को बढ़ावा देना, रक्षा क्षेत्र से संबंधित प्रौद्योगिकियों की वैज्ञानिक समझ बढ़ाना और नया विकास करना है।
रक्षा प्रौद्योगिकियों से संबंधित इंजीनियरिंग के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियों के अकादमिक आदान-प्रदान में आई.एन. और आई.आई.एस.सी. साझा हित रखते हैं। इस समझौता ज्ञापन से व्यापक रूपरेखा तैयार करने में मदद मिलेगी और दोनों पक्षों को क्षमता निर्माण, क्षेत्र स्तर के मुद्दों के समाधान, उपकरण वेंडर आधार का विस्तार और फैकल्टी /अतिथि व्याख्यानों के आदान-प्रदान के जरिए प्रभावी प्रशिक्षण देने में मदद मिलेगी। आई.एन. ने आई.आई.एस.सी. के सहयोग से प्राकृतिक शीतलक पर काम करने वाले भविष्य के लिए तैयार ट्रांसक्रिटिकल कार्बन डाइऑक्साइड (सी.ओ.2) आधारित ए.सी. संयंत्र का विकास किया है। यह तकनीक हैलोन सिंथेटिक रेफ्रिजरेंट्स को चरणबद्ध रूप से हटाने के लिए एक बड़ी सफलता है और इसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। यह समझौता ज्ञापन निकट भविष्य में इस तरह के प्रौद्योगिकी समाधानों को विकसित करने के लिए निरंतर सहयोग के लिए औपचारिक आधार है।
इस समझौता ज्ञापन पर नौसेना की ओर से रियर एडमिरल के. श्रीनिवास, सहायक प्रमुख मैटरियल (डॉकयार्ड एंड रिफिट) और आई.आई.एस.सी. के रजिस्ट्रार कैप्टन श्रीधर वारियर (सेवानिवृत्त) और एफ.एस.आई.डी. बेंगलुरु के निदेशक प्रोफेसर बी. गुरुमूर्ति ने हस्ताक्षर किए।