4 दिसंबर 2023 को जी.आर.एस.ई., कोलकाता में बनाए जा रहे चार सर्वेक्षण पोत (लार्ज) जहाजों में से पहला संध्यक (यार्ड 3025) भारतीय नौसेना को सौंपा गया। 30 अक्टूबर 2018 को चार सर्वेक्षण पोत (लार्ज) के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। एस.वी.एल. जहाजों को मेसर्स जी.आर.एस.ई., द्वारा इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग वर्गीकरण सोसायटी के नियमों के अनुसार डिजाइन और निर्मित किया गया है। इस पोत की प्राथमिक भूमिका पोर्ट/बंदरगाह पर पूर्ण पैमाने का तटीय और गहरे पानी का हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और नौवहन चैनलों/मार्गों का निर्धारण होगी। ऑपरेशन क्षेत्र में ई.ई.जेड./विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ तक समुद्री सीमाएँ शामिल हैं। जहाज रक्षा और नागरिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्र विज्ञान और भूभौतिकीय आंकड़े भी एकत्र करेंगे। अपनी द्वितीयक भूमिका में, युद्ध/आपातकालीन स्थिति के दौरान जहाज सीमित सुरक्षा प्रदान करेंगे और अस्पताल जहाज के रूप में कार्य करेंगे। लगभग 3400 टन की विस्थापन क्षमता और 110 मीटर की समग्र लंबाई के साथ, संध्यक में अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरण जैसे डेटा अधिग्रहण और प्रसंस्करण प्रणाली, स्वायत्त अंडरवाटर वाहन, रिमोट संचालित वाहन, डी.जी.पी.एस. लंबी दूरी का पोजिशनिंग सिस्टम, डिजिटल साइड स्कैन सोनार इत्यादि लगे हैं। दो डीजल इंजनों द्वारा चालित, जहाज 18 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है। जहाज की कील 12 मार्च 2019 को रखी गई थी और जहाज को 5 दिसंबर 2021 को लॉन्च किया गया। इस पोत के बंदरगाह और समुद्र में परीक्षणों की एक व्यापक अनुसूची रही है, जिससे 4 दिसंबर 2023 को भारतीय नौसेना को इसकी सुपुर्दगी हुई। संध्यक में लागत के अनुसार 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री लगी है। संध्यक की सुपुर्दगी जी.ओ.आई. और भारतीय नौसेना द्वारा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में दिए जा रहे प्रोत्साहन की पुष्टि है। निर्माण के दौरान कोविड 19 और अन्य भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद संध्यक का शामिल होना, आई.ओ.आर. में राष्ट्र की समुद्री शक्ति को बढ़ाने में बड़ी संख्या में हितधारकों, एम.एस.एम.ई. और भारतीय उद्योग के सहयोगात्मक प्रयासों के लिए एक सम्मान है।